महाशिवरात्रि पर्व शुरू, भगवान कोटेश्वर का पंचामृत अभिषेक

उज्जैन। भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहोत्सव को प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जाता है। महाकालेश्वर मंदिर के कोटितीर्थ स्थित कोटेश्वर महादेव के अभिषेक के साथ पर्व की शुरूआत हुई। अब भगवान महाकाल का 9 दिनों तक अलग-अलग श्रृंगार किया जाएगा और शिवरात्रि पर भगवान दूल्हा स्वरूप में दर्शन देंगे।

सुबह 9 बजे कोटेश्वर महादेव मंदिर में मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा ने 11 ब्राह्मणों के साथ भगवान को चंदन, माता पार्वती को हल्दी उबटन के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पंचामृत अभिषेक किया गया।

इसके बाद भगवान महाकालेश्वर का अभिषेक हुआ। पूजन अभिषेक के साथ आज से महाकाल मंदिर प्रांगण में शिव विवाह महोत्सव की शुरूआत हुई।

अगले 9 दिनों तक गर्भगृह में 11 ब्राह्मणों द्वारा एकादश रूद्राभिषेक किया जाएगा, वहीं शाम को भगवान का अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार होगा, माता पार्वती को भी प्रतिदिन नई साड़ी अर्पित की जाएगी, वहीं महाशिवरात्रि पर भगवान का दूल्हा स्वरूप में श्रृंगार होगा। महिलाओं द्वारा विवाह के मंगल गीत गाए।

नो दिनों तक होगें अलग-अलग श्रृंगार

शिव नवरात्रि पर्व के प्रत्येक दिन भगवान महाकालेश्वर का अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है। जिसमें प्रथम दिन वस्त्र धारण, शेषनाग, घटाटोप, छबीना, होलकर, मनमहेश, उमामहेश, शिव तांडव के बाद सेहरा श्रृंगार किया जाता है।

नौ दिनों तक भगवान महाकाल इन विभिन्न स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देते हैं। इन सभी स्वरूपों में उमामहेश स्वरूप में श्री महाकालेश्वर भगवान के साथ माता पार्वती भी विराजित होती हैं।

इसी प्रकार शिव तांडव स्वरूप में भगवान को नृत्य की शैली में दशार्या जाता है। होलकर श्रृंगार मंदिर में पूजन के इतिहास को दशार्ता है। इस श्रृंगार में भगवान महाकाल का पूजन होलकर रियासत काल से किया जा रहा है।

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